रात की बातें,
चाँद के हाथों.
अम्बर ने,
भिजवाई थी.

सुबह सूर्य ने,
बातें वापस.
नभ पर ही,
छितराई थी.

चाँद की बोरी,
सूर्य की बोरी.
क्षितिज ने कहीं,
धुलाई थी.

मेरा क्या है,
सब है व्योम का.
मेरी तो तनिक,
लिखाई थी.

स्याही घोली,
जिस पानी में.
वो उसी ताल,
से आई थी.

2 टिप्पणियाँ:

रश्मि प्रभा... said...

जादू है ख्यालों का

Avinash Chandra said...

bahut bahut shukriya